Wednesday, August 7, 2013

लड़कियाँ होती हैं लड़कियाँ

अशोक लव की कविता
लड़कियाँ होती हैं लड़कियाँ
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पींगों पर झूलती
झुलाती लड़कियाँ
पाँवों में घुँघरू बजाती
छनछनाती लड़कियाँ
गीतों को स्वर देती
 गुनगुनाती लड़कियाँ
घर-आँगन बुहारती
संवारती लड़कियाँ .
मर्यादाओं की परिभाषा
होती हैं लड़कियाँ
संस्कारों को जीती
जगाती हैं लड़कियाँ
पैरों में आसमान
झुकाती हैं लड़कियाँ.
-------Dwarka Parichay 5th August 2013

Tuesday, June 4, 2013

अशोक लव की कविता ' साम्प्रदायिकता ' और डॉ माखन लाल दास द्वारा असमी में किया अनुवाद --


साम्प्रदायिकता...সাম্প্ৰদায়িকতা..
मेरे कानों में फुसफुसाया था
मेरा धर्म
मैंने उसका कहना माना
भर लिया कमरा
लाठियों, पत्थरों, चाकुओं से
दोस्त !
क्या तुम्हारा धर्म भी आया था
तुम्हारे पास?
-----अशोक लव

মোৰ কাণত ফুচফুচাইছিল
মোৰ ধৰ্মই
মই তাৰ কথা মানিলো
ভৰাই ল'লো কোঠালি
লাঠি, শিলগুটি ,ছুৰী-কটাৰীৰে
বন্ধু !
তোমাৰ ধৰ্মও আহিছিল নেকি
তোমাৰ কাষলে'?
----অনু: ডঃ মাখন লাল দাস

--अनुवाद : डॉ  माखन लाल दास

Sunday, May 19, 2013

आँखों में जब सपने जवान होते हैं

आँखों में जब सपने जवान होते हैं, 
पंखों में, नए- नए , जहान होते हैं .
--अशोक लव