Tuesday, June 4, 2013

अशोक लव की कविता ' साम्प्रदायिकता ' और डॉ माखन लाल दास द्वारा असमी में किया अनुवाद --


साम्प्रदायिकता...সাম্প্ৰদায়িকতা..
मेरे कानों में फुसफुसाया था
मेरा धर्म
मैंने उसका कहना माना
भर लिया कमरा
लाठियों, पत्थरों, चाकुओं से
दोस्त !
क्या तुम्हारा धर्म भी आया था
तुम्हारे पास?
-----अशोक लव

মোৰ কাণত ফুচফুচাইছিল
মোৰ ধৰ্মই
মই তাৰ কথা মানিলো
ভৰাই ল'লো কোঠালি
লাঠি, শিলগুটি ,ছুৰী-কটাৰীৰে
বন্ধু !
তোমাৰ ধৰ্মও আহিছিল নেকি
তোমাৰ কাষলে'?
----অনু: ডঃ মাখন লাল দাস

--अनुवाद : डॉ  माखन लाल दास