लघुकथा : घंटियाँ
० अशोक लव
वह नास्तिक था. उसके
विचार क्रांतिकारी थे. अम्मां के माला फेरने और बापू के दुर्गा-चालीसा पढ़ने पर उसे
घोर आपत्ति थी.
उसकी नौकरी लग गई.
उसके साहब प्रत्येक मंगल मंदिर जाते थे. वह भी प्रत्येक मंगल साहब के साथ मंदिर
जाने लगा.
अवसरवादी व्यवस्था
में उसके क्रांतिकारी विचार मंदिर की घंटियाँ बजाने लगे.
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