Tuesday, December 22, 2015
Saturday, December 19, 2015
Saturday, June 27, 2015
अशोक लव ने एम.बी.ए. के विद्यार्थियों को संबोधित किया
“ देश के सम्मान के साथ हमारा सम्मान जुडा हुआ है
“ –शिक्षाविद् अशोक लव
“ देश केवल ज़मीन का टुकड़ा नहीं है, यह हमारी आत्मा में बसा भाव है. इसके साथ
ऐसा अपनत्व होता है कि इसके लिए प्राण तक न्यौछावर करने में सैनिक हिचकिचाते नहीं
हैं. हम जहाँ भी, जिस रूप में भी कार्य कर रहे हैं हमें ऐसे कोई भी कार्य नहीं
करने चाहिए जिससे देश का अहित हो, देश के सम्मान को ठेस न पहुँचे.”- वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद् अशोक लव ने
एपीजे स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, द्वारका,नई दिल्ली के एम.बी.ए. के विद्यार्थियों को
संबोधित करते हुए कहा. ‘ सत्र 2015-17 विद्यार्थियों के साथ संवाद ‘ के अंतर्गत यह
कार्यक्रम आयोजित किया गया था.
इससे पूर्व संस्थान
के निर्देशक डॉ. आलोक सकलानी ने अशोक लव का स्वागत करते हुए कह कि अशोक लव बहुमुखी
प्रतिभा संपन्न हैं. वे कवि हैं, लेखक हैं, शिक्षाविद् और समाजसेवी हैं. उनकी 125 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. उनके साहित्य पर पी.एच.डी. और एम.फिल.
हिया हैं. वे तीस वर्षों तक अध्यापन से संबद्ध रहे हैं.
अशोक लव ने
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी जीवन मनुष्य के भावी जीवन का
आधार होता है. यह फिसलन भरा होता है. इस पर बढ़ते हुए टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियों से
गुज़ारना पड़ता है. अनेक प्रलोभन अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इन सबके मध्य अपना ध्यान
अपने लक्ष्य पर केंद्रित रखना चाहिए. साधनहीन एकलव्य ने अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर
केंद्रित रकह और निरंतर अभ्यास से श्रेष्ठ धनुर्धर बना. एकलव्य मैनेजमेंट का
विद्यार्थी नहीं था. उसने जीवन से प्रबंधन सीखा, मैनेजमेंट सीखा. मैनेजमेंट का
अर्थ ही जीवन को सुव्यवस्थित ढंग से जीना है. अपने कार्यों का सुप्रबंधन करना है.
उन्होंने कहा कि देश
हमारे लिए सर्वोपरि है. इसके सम्मान के साथ हमारा सम्मान जुडा हुआ है. जब देस
पराधीन था तो देश के प्रत्येक नागरिक पर पराधीनता का कलंक लगा हुआ था. हमें इसे
स्मरण रखना चाहिए. भारत महान देश है. इसके संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं किया
गया. ऐसी योजनाएँ नहीं बनाई गईं जिनसे देश विश्व के विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में
आता. आप विद्यार्थी जीवन के पश्चात समर्पित भाव से कार्य करके देश को उच्च शिखरों
तक ले जाएँ. अपने सामने सदैव देश को रखें.
अशोक लव ने अपने
अमेरिकी प्रवास के अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज वहाँ भारतीयों का बहुत
सम्मान है. भारतीय परिश्रमी और प्रतिभावान हैं. आई.टी. क्षेत्र में कार्यरत
इंजीनियर, डॉक्टर, व्यवसायी सबके समर्पित भाव से कार्य करने के कारण ऐसा हुआ है.
उनके सम्मान का अर्थ है भारत का सम्मान.
वहाँ बसे भारतीय हर साँस के साथ भारत को जीते हैं. हम यहाँ भारत में रह रहे
हैं. हमारा कर्तव्य हो जाता है कि हम अपने कार्यों से देश और भारतीय संस्कृति की
गरिमा को बढ़ाएँ. आज शिक्षा का स्वरूप बदल गया है. केवल साइंस या कामर्स ही नहीं अपितु
आर्ट्स विषयों के साथ भी उच्च पदों पर पहुँचा जा सकता है. एम.बी.ए. बहुत
महत्त्वपूर्ण विषय बन गया है. आई.टी. हो, चिकित्सा हो, डिफेंस हो आज सब एम.बी.ए. अवश्य करते हैं. आप इसे गंभीरता
से लें, मन लगाकर खूब पढ़ें. आपकी उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ ! साहित्यकार अशोक
लव ने विशेष अनुरोध पर अपनी कुछ कविताएँ भी सुनाईं. संस्थान की ओर से डॉ.आलोक
सकलानी ने उन्हें सम्मानित किया.
Tuesday, June 23, 2015
PAHAL Social Organisation(Regd) : AGM held on 13th June
Pahal Social Organisation held its 3rd Annual General Body Meeting on 13th June2015, at Sam International School, Sector 12, Dwarka, New Delhi. Audited financial Statement for the year 2014-15 was presented by K C Banerjee after the welcome address by the Pahal Founder & President Malay K Chakraborty. Brief introduction of both the PahalPathshala given by Dimple Gaur and Rama Sinha, followed by Anjali Parashar Nandi explaining about the recently developed Pahal website.
Selection of additional office bearers done in a democratic way. I M
Khanna selected as Vice-President; five Joint Secretaries selected are- P
K Datta, AnjulNath, T K Chakraborty, Anjali Parashar Nandi and
VarshaAggrwal. Discussion planning regarding future events carried out
after the reports of events & activities of the last year was
presented by the Secretary ChamanLal Chopra. Guests of honours Mr
DebasheeshBagchi, Dr Alok Saklani Dr Ashok Luv and Mr PP Bansal
appreciated Pahal activities and the commitment of its members towards
the betterment of the society. Pahal Souvenir was released jointly by
theVice President and editorial team along with the guest of honours.
AGM ended with vote of thanks followed by tea.
Wednesday, June 17, 2015
Monday, June 15, 2015
Tuesday, June 9, 2015
Sunday, June 7, 2015
Tuesday, June 2, 2015
Sunday, May 31, 2015
Friday, May 29, 2015
Tuesday, May 26, 2015
"साहित्य सभी भाषाओँ में पुल बनाता है"-सैयद सिब्ते रज़ी (नैशनल ला यूनिवर्सिटी )
नेशनल ला
यूनिवर्सिटी में नाटक-काव्य उत्सव
“आज का कवि सामाजिक
सरोकारों की कविता लिख रहा है. काव्य की विधा कोई भी हो — गीत, ग़ज़ल,दोहे, मुक्त
छंद, कविता में संघर्ष करने वालों की पीड़ा की अभिव्यक्ति होनी आवश्यक है. ‘ दिल्ली
पोयट्री सर्कल ‘ ने अच्छा काम किया है कि सब भाषाओँ के कवि-कवयित्रियों को आपस में
जोड़ने के पुल का काम किया है. भाषाएँ अलग हो सकती हैं पर कविता के भाव और संवेदनाएँ
समान रहती हैं.”-नेशनल ला
यूनिवर्सिटी ,द्वारका,नई दिल्ली और ‘दिल्ली पोयट्री सर्कल’ द्वारा आयोजित
काव्य-संध्या के मुख्य-अतिथि के रूप में पूर्व-राज्यपाल सैयद सिब्ते रज़ी ने क़ानून,
साहित्य और समाज के संबंधों पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा.
नेशनल ला यूनिवर्सिटी में गत वर्षों से साहित्यिक आयोजन
होते रहे हैं. इसी परम्परा में इक्कीस मई को यह आयोजन एसोसिएट प्रोफ़ेसर
डॉ.प्रसन्नान्शु ने किया. इसमें अंग्रेज़ी के चार नाटकों का मंचन किया गया. इसके
पश्चात ‘क़ानून और कविता’ विषय पर सर्वभाषा काव्य-कार्यशाला और काव्य-संध्या का
आयोजन किया गया. विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने सिल्वर बॉक्स, ट्रायल बाय
जूरी, पिगमलिअन, ए मेलाफेक्टर इन चार नाटकों का डॉ. प्रसन्नान्शु के मार्गदर्शन
में प्रभावशाली मंचन किया. अभिनय और मंचन के तकनीकी पक्ष पर बोलते हुए निर्णायक
मंडल की सदस्या श्रीमती नीता अरोडा ने इनकी भूरी-भूरी प्रशंसा की. इसके पश्चात
डॉ.प्रसन्नान्शु और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.अशोक लव ने ‘कानून और कविता’ विषय पर
आयोजित कार्यशाला में विद्यार्थियों से कविता के विभिन्न पक्षों पर चर्चा की तथा
विद्यार्थियों ने कविताएँ भी लिखीं. इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों में
काव्य-सौंदर्य की अनुभूति कराना और लेखन के लिए प्रोत्साहित करना था.
विद्यार्थियों ने कविताएँ लिखीं.श्रेष्ठ चार कविताओं का चयन किया गया.
इसके पश्चात बहुभाषी काव्य-संध्या का आयोजन किया गया. इसका
आयोजन ‘दिल्ली पोयट्री सर्कल’ और ‘नेशनल ला यूनिवर्सिटी’ की ओर से किया
गया.विश्वविद्यालय की छात्रा अन्न्पूरनी सुब्रमणयम ने विश्वविद्यालय की ओर से
कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अशोक लव से अध्यक्षता करने का
अनुरोध किया. मुख्य-अतिथि सैयद सिब्ते रज़ी (पूर्व राज्यपाल, असम और झारखंड) का मंच
पर स्वागत किया गया. इसके पश्चात संस्था के अध्यक्ष डॉ. प्रसन्नान्शु, सचिव प्रेम
बिहारी मिश्रा, वित्त सचिव वी.की.मंसोत्रा, संयुक्त सचिव ताराचंद शर्मा ‘नादान’ और
विशिष्ट-अतिथियों डॉ.राजेंद्र गौतम, श्री मुकेश सिन्हा, डॉ. विवेक गौतम, डॉ.
चंद्रमणि ब्रह्मदत्त और श्री भोगेन्द्र पटेल को मंच पर आमंत्रित किया गया. मुख्य-अतिथि,
अध्यक्ष और विशिष्ट-अतिथियों ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया और दीप
प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया. श्री प्रेम बिहारी मिश्रा ने
काव्य-संध्या का संचालन किया. डॉ. प्रसन्नान्शु ने ‘दिल्ली पोयट्री सर्कल’ के
अध्यक्ष के रूप में तथा विश्विद्यालय की ओर से मुख्य-अतिथि, विशिष्ट-अतिथियों और
कवि-कवयित्रियों का स्वागत किया. श्री प्रेम बिहारी मिश्रा ने डॉ. अशोक लव से
अनुरोध किया किया कि वे संस्था के मुख्य-संरक्षक के रूप में ‘दिल्ली पोयट्री
सर्कल’ के विषय में बताएँ. डॉ.अशोक लव ने बताया कि वे जब आए तब यहाँ द्वारका में
कोई साहित्यिक मंच नहीं था. श्री प्रेम बिहारी मिश्रा से संपर्क के पश्चात डॉ.प्रसन्नान्शु
और अन्य कवियों से मिले तथा सुख-दुख के साथी,द्वारका सिटी,लायन्ज़ क्लब आदि
संस्थाओं के साथ छह काव्य-संध्याएँ आयोजित कीं.इस प्रकार ‘दिल्ली पोयट्री सर्कल’
का गठन हुआ. यह हमारी तीसरी काव्य-गोष्ठी है.
सैयद सिब्ते रज़ी ने वरिष्ठ साहित्यकार अशोक लव की ‘कादंबरी’ पुस्तक श्रृंखला की छह पुस्तकों और मधुर गीतकार वीरेंद्र कुमार मंसोत्रा के पाँचवें काव्य-संग्रह ‘जय हिंद’ का लोकार्पण किया. इसके पश्चात ताराचंद शर्मा ‘नादान’ की सरस्वती-वंदना से काव्य-संध्या आरंभ हुई. अनिल उपाध्याय,डॉ.राजेंद्र गौतम, डॉ.रमेश सिद्धार्थ, नरेश शांडिल्य,शुभदा बाजपेई, डॉ.विवेक गौतम, अस्तित्व अंकुर, मनीष मधुकर और डॉ. भावना शुक्ला की रचनाओं ने श्रोताओं का मन मोह लिया. कमर बदरपुरी के सादगी से पढ़े शेर “जब-जब भी संयोग मिले/ कितने अच्छे लोग मिले.” का सबने तालियों से स्वागत किया. डॉ. प्रसन्नान्शु ने इंग्लिश में प्रभावशाली कविताएँ सुनाईं. मनोहर लूथरा ने भी इंग्लिश में कविता-पाठ किया.मधुर गीतकार वी.के.मंसोत्रा ने पंजाबी में रंग जमा दिया. प्रेम बिहारी मिश्रा की प्रेम भाव की कविताओं पर खूब तालियाँ बजीं. इनके अतिरिक्त डॉ.राजीव श्रीवास्तव,राजेंद्र चुघ, अनिल वर्मा मीत, गजेन्द्र प्रताप सिंह,सुनील हापुडिया, डॉ.प्रबोध, मुकेश निरुला, इरफ़ान रही, प्रेम शर्मा, अरविंद योगी, डॉ,तृप्ति माथुर, सुखवर्ष कंवर ’तनहा’,पंकज शर्मा, अजय अक्स, दिनेश सोनी मंजर, संदीप शज़र, मुकेश अलाह्बादी आदि कवि-कवयित्रियों की कविताओं-घज्लों-गीतों ने रंग जमा दिया.डॉ अशोक लव ने अपने अध्यक्षीय भाषण में संक्षेप में पढ़ी कविताओं पर अपने विचार रखे और अपनी कविता और दोहे सुनाये-‘थकी-थकी-सी ज़िंदगी,थके-थके से लोग/थके-थके से चल रहे, है यह कैसा रोग.’
डॉ.प्रसन्नान्शु ने मुख्य-अतिथि सैयद सिब्ते रज़ी और विश्विद्यालय
के कुलपति,रजिस्ट्रार, विद्यार्थियों,’दिल्ली पोयट्री सर्कल’ के
पदाधिकारियों,श्रोताओं तथा कवि -कवयित्रियों का धन्यवाद किया.
Sunday, May 24, 2015
Saturday, May 23, 2015
Monday, May 18, 2015
Sunday, May 17, 2015
Subscribe to:
Posts (Atom)