Sunday, May 31, 2015
Friday, May 29, 2015
Tuesday, May 26, 2015
"साहित्य सभी भाषाओँ में पुल बनाता है"-सैयद सिब्ते रज़ी (नैशनल ला यूनिवर्सिटी )
नेशनल ला
यूनिवर्सिटी में नाटक-काव्य उत्सव






डॉ.प्रसन्नान्शु ने मुख्य-अतिथि सैयद सिब्ते रज़ी और विश्विद्यालय
के कुलपति,रजिस्ट्रार, विद्यार्थियों,’दिल्ली पोयट्री सर्कल’ के
पदाधिकारियों,श्रोताओं तथा कवि -कवयित्रियों का धन्यवाद किया.
Sunday, May 24, 2015
Saturday, May 23, 2015
Monday, May 18, 2015
Sunday, May 17, 2015
Poet Ashok Lav presented his books to Syed Sibte Razi ( Ex-Governor)
हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार अशोक लव ने अपनी पुस्तकें 'लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' और 'खिड़कियों पर टंगे लोग' पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्दे रज़ी को भेंट की. उन्होंने अशोक लव के साहित्यिक योगदान की प्रशंसा की. इस अवसर पर नेशनल ला यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर तथा दिल्ली पोएट्री सर्कल के अध्यक्ष डॉ. प्रसंनान्शु भी उपस्थित थे.
Dr Prasannanshu, Dr Ashok Lav, Syed Sibte Razi, Syed Mohammad Razi are in the pictures.
Dr Prasannanshu, Dr Ashok Lav, Syed Sibte Razi, Syed Mohammad Razi are in the pictures.
Wednesday, May 13, 2015
Saturday, May 9, 2015
Friday, May 8, 2015
"कविता सबको जोड़ती है "--डॉ. प्रसन्नान्शु
‘सुंदर जग इतना बना,अटक-अटक मन
जाए’ कविता के रंग
“दिल्ली पोयट्री
सर्कल” की ओर से 26अप्रेल, को सेक्टर-6, द्वारका, नई दिल्ली में काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया.इसमें दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, जयपुर, झज्झर, सिरसा आदि क्षेत्रों से आए
कवि-कवयित्रियों ने कविता-पाठ किया. यह अखिल भारतीय गोष्ठी चार घंटे तक चली.इसमें 41 से अधिक कवि उपस्थित थे.संस्था के मुख्य संरक्षक और वरिष्ठ साहित्यकार अशोक लव ने काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए
कहा “दिल्ली पोयट्री सर्कल का
गठन सर्वभाषा साहित्य को मंच प्रदान करना है. आज विभिन्न भाषाओँ की कविताओं का पाठ
किया गया है.इससे हम आशान्वित हुए हैं.यह गोष्ठी सर्वभाषा समभाव को प्रकट करती है.”
गोष्ठी के आरम्भ में नेपाल व उत्तरी भारत में आए भूकम्प में जीवन खोने वाले लोगों को श्रद्धांजली अर्पित की गई. प्रोफेसर सुधेश और कमर बदरपुरी सहित अन्य वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में संस्था के पदाधिकारियों अशोक लव, प्रेम बिहारी मिश्र, वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा और ताराचंद शर्मा ‘नादान’ द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात, युवा कवि मनीष ‘मधुकर’ ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की और गोष्ठी का आरम्भ उनकी इस प्रभावशाली ग़ज़ल से हुआ.अन्य कवियों ने एक एक कर के अपनी रचनाओं का पाठ किया और गोष्ठी निरंतर ऊँचाइयों को छूती चली गई| सम्पूर्ण कार्यक्रम में विभिन्न विधाओं की कविताओं का अपना ही रंग था|
वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा की डोगरी कविता की अपनी छटा थी तो टी.एस. माटा की कविता ने पंजाबी रंग में रंग दिया. मनोहर लाल लूथरा ने भूकम्प की विभीषिका और किसानों की दुर्दशा का मार्मिक वर्णन अंग्रेज़ी कविताओं में किया वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि अशोक लव ने गोष्ठी की धारा को अपने दार्शनिक दोहों से नया रंग दे दिया –
और और की चाह में, गठरी भरता जाए,
इतनी गठरी बाँध ली, उठा नहीं अब पाए.
सुन्दर जग इतना बना, अटक अटक मन जाए,
जिसने भेजा था यहाँ, उसे दिया बिसराय.
चन्द्रकान्ता
सिवाल ने भी कुछ ऐसे ही भाव की रचना पढ़ी. कवियत्री नीना ‘सहर’ ने तेज़ी से बदलते समय को इस प्रकार अभिव्यक्त किया –और क्या अब लिखें कहानी भी वक़्त भी जा चुका, जवानी भी. गोष्ठी के आरम्भ में नेपाल व उत्तरी भारत में आए भूकम्प में जीवन खोने वाले लोगों को श्रद्धांजली अर्पित की गई. प्रोफेसर सुधेश और कमर बदरपुरी सहित अन्य वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में संस्था के पदाधिकारियों अशोक लव, प्रेम बिहारी मिश्र, वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा और ताराचंद शर्मा ‘नादान’ द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात, युवा कवि मनीष ‘मधुकर’ ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की और गोष्ठी का आरम्भ उनकी इस प्रभावशाली ग़ज़ल से हुआ.अन्य कवियों ने एक एक कर के अपनी रचनाओं का पाठ किया और गोष्ठी निरंतर ऊँचाइयों को छूती चली गई| सम्पूर्ण कार्यक्रम में विभिन्न विधाओं की कविताओं का अपना ही रंग था|
वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा की डोगरी कविता की अपनी छटा थी तो टी.एस. माटा की कविता ने पंजाबी रंग में रंग दिया. मनोहर लाल लूथरा ने भूकम्प की विभीषिका और किसानों की दुर्दशा का मार्मिक वर्णन अंग्रेज़ी कविताओं में किया वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि अशोक लव ने गोष्ठी की धारा को अपने दार्शनिक दोहों से नया रंग दे दिया –
और और की चाह में, गठरी भरता जाए,
इतनी गठरी बाँध ली, उठा नहीं अब पाए.
सुन्दर जग इतना बना, अटक अटक मन जाए,
जिसने भेजा था यहाँ, उसे दिया बिसराय.
अस्तित्व ‘अंकुर’ की ग़ज़ल,मास्टर महेंद्र की हास्य-कविता,अशोक शर्मा, ध्रुव कुमार गुप्ता, शैफाली सुरभि, पंकज शर्मा, डॉ. सीमा गुप्ता ‘शारदा’, पी.के. शर्मा, सुखवर्ष कँवर ‘तन्हा’ दिनेश चन्द्र नागर, मदन लाल अहूजा, राजेन्द्र महाजन, राजीव ‘रियाज़’ और वरिष्ठ ग़ज़लकारा डॉ. कुमारी नीलम की ग़ज़लों ने
श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
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