Sunday, May 31, 2015
Friday, May 29, 2015
Tuesday, May 26, 2015
"साहित्य सभी भाषाओँ में पुल बनाता है"-सैयद सिब्ते रज़ी (नैशनल ला यूनिवर्सिटी )
नेशनल ला
यूनिवर्सिटी में नाटक-काव्य उत्सव
“आज का कवि सामाजिक
सरोकारों की कविता लिख रहा है. काव्य की विधा कोई भी हो — गीत, ग़ज़ल,दोहे, मुक्त
छंद, कविता में संघर्ष करने वालों की पीड़ा की अभिव्यक्ति होनी आवश्यक है. ‘ दिल्ली
पोयट्री सर्कल ‘ ने अच्छा काम किया है कि सब भाषाओँ के कवि-कवयित्रियों को आपस में
जोड़ने के पुल का काम किया है. भाषाएँ अलग हो सकती हैं पर कविता के भाव और संवेदनाएँ
समान रहती हैं.”-नेशनल ला
यूनिवर्सिटी ,द्वारका,नई दिल्ली और ‘दिल्ली पोयट्री सर्कल’ द्वारा आयोजित
काव्य-संध्या के मुख्य-अतिथि के रूप में पूर्व-राज्यपाल सैयद सिब्ते रज़ी ने क़ानून,
साहित्य और समाज के संबंधों पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा.
नेशनल ला यूनिवर्सिटी में गत वर्षों से साहित्यिक आयोजन
होते रहे हैं. इसी परम्परा में इक्कीस मई को यह आयोजन एसोसिएट प्रोफ़ेसर
डॉ.प्रसन्नान्शु ने किया. इसमें अंग्रेज़ी के चार नाटकों का मंचन किया गया. इसके
पश्चात ‘क़ानून और कविता’ विषय पर सर्वभाषा काव्य-कार्यशाला और काव्य-संध्या का
आयोजन किया गया. विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने सिल्वर बॉक्स, ट्रायल बाय
जूरी, पिगमलिअन, ए मेलाफेक्टर इन चार नाटकों का डॉ. प्रसन्नान्शु के मार्गदर्शन
में प्रभावशाली मंचन किया. अभिनय और मंचन के तकनीकी पक्ष पर बोलते हुए निर्णायक
मंडल की सदस्या श्रीमती नीता अरोडा ने इनकी भूरी-भूरी प्रशंसा की. इसके पश्चात
डॉ.प्रसन्नान्शु और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.अशोक लव ने ‘कानून और कविता’ विषय पर
आयोजित कार्यशाला में विद्यार्थियों से कविता के विभिन्न पक्षों पर चर्चा की तथा
विद्यार्थियों ने कविताएँ भी लिखीं. इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों में
काव्य-सौंदर्य की अनुभूति कराना और लेखन के लिए प्रोत्साहित करना था.
विद्यार्थियों ने कविताएँ लिखीं.श्रेष्ठ चार कविताओं का चयन किया गया.
इसके पश्चात बहुभाषी काव्य-संध्या का आयोजन किया गया. इसका
आयोजन ‘दिल्ली पोयट्री सर्कल’ और ‘नेशनल ला यूनिवर्सिटी’ की ओर से किया
गया.विश्वविद्यालय की छात्रा अन्न्पूरनी सुब्रमणयम ने विश्वविद्यालय की ओर से
कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अशोक लव से अध्यक्षता करने का
अनुरोध किया. मुख्य-अतिथि सैयद सिब्ते रज़ी (पूर्व राज्यपाल, असम और झारखंड) का मंच
पर स्वागत किया गया. इसके पश्चात संस्था के अध्यक्ष डॉ. प्रसन्नान्शु, सचिव प्रेम
बिहारी मिश्रा, वित्त सचिव वी.की.मंसोत्रा, संयुक्त सचिव ताराचंद शर्मा ‘नादान’ और
विशिष्ट-अतिथियों डॉ.राजेंद्र गौतम, श्री मुकेश सिन्हा, डॉ. विवेक गौतम, डॉ.
चंद्रमणि ब्रह्मदत्त और श्री भोगेन्द्र पटेल को मंच पर आमंत्रित किया गया. मुख्य-अतिथि,
अध्यक्ष और विशिष्ट-अतिथियों ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया और दीप
प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया. श्री प्रेम बिहारी मिश्रा ने
काव्य-संध्या का संचालन किया. डॉ. प्रसन्नान्शु ने ‘दिल्ली पोयट्री सर्कल’ के
अध्यक्ष के रूप में तथा विश्विद्यालय की ओर से मुख्य-अतिथि, विशिष्ट-अतिथियों और
कवि-कवयित्रियों का स्वागत किया. श्री प्रेम बिहारी मिश्रा ने डॉ. अशोक लव से
अनुरोध किया किया कि वे संस्था के मुख्य-संरक्षक के रूप में ‘दिल्ली पोयट्री
सर्कल’ के विषय में बताएँ. डॉ.अशोक लव ने बताया कि वे जब आए तब यहाँ द्वारका में
कोई साहित्यिक मंच नहीं था. श्री प्रेम बिहारी मिश्रा से संपर्क के पश्चात डॉ.प्रसन्नान्शु
और अन्य कवियों से मिले तथा सुख-दुख के साथी,द्वारका सिटी,लायन्ज़ क्लब आदि
संस्थाओं के साथ छह काव्य-संध्याएँ आयोजित कीं.इस प्रकार ‘दिल्ली पोयट्री सर्कल’
का गठन हुआ. यह हमारी तीसरी काव्य-गोष्ठी है.
सैयद सिब्ते रज़ी ने वरिष्ठ साहित्यकार अशोक लव की ‘कादंबरी’ पुस्तक श्रृंखला की छह पुस्तकों और मधुर गीतकार वीरेंद्र कुमार मंसोत्रा के पाँचवें काव्य-संग्रह ‘जय हिंद’ का लोकार्पण किया. इसके पश्चात ताराचंद शर्मा ‘नादान’ की सरस्वती-वंदना से काव्य-संध्या आरंभ हुई. अनिल उपाध्याय,डॉ.राजेंद्र गौतम, डॉ.रमेश सिद्धार्थ, नरेश शांडिल्य,शुभदा बाजपेई, डॉ.विवेक गौतम, अस्तित्व अंकुर, मनीष मधुकर और डॉ. भावना शुक्ला की रचनाओं ने श्रोताओं का मन मोह लिया. कमर बदरपुरी के सादगी से पढ़े शेर “जब-जब भी संयोग मिले/ कितने अच्छे लोग मिले.” का सबने तालियों से स्वागत किया. डॉ. प्रसन्नान्शु ने इंग्लिश में प्रभावशाली कविताएँ सुनाईं. मनोहर लूथरा ने भी इंग्लिश में कविता-पाठ किया.मधुर गीतकार वी.के.मंसोत्रा ने पंजाबी में रंग जमा दिया. प्रेम बिहारी मिश्रा की प्रेम भाव की कविताओं पर खूब तालियाँ बजीं. इनके अतिरिक्त डॉ.राजीव श्रीवास्तव,राजेंद्र चुघ, अनिल वर्मा मीत, गजेन्द्र प्रताप सिंह,सुनील हापुडिया, डॉ.प्रबोध, मुकेश निरुला, इरफ़ान रही, प्रेम शर्मा, अरविंद योगी, डॉ,तृप्ति माथुर, सुखवर्ष कंवर ’तनहा’,पंकज शर्मा, अजय अक्स, दिनेश सोनी मंजर, संदीप शज़र, मुकेश अलाह्बादी आदि कवि-कवयित्रियों की कविताओं-घज्लों-गीतों ने रंग जमा दिया.डॉ अशोक लव ने अपने अध्यक्षीय भाषण में संक्षेप में पढ़ी कविताओं पर अपने विचार रखे और अपनी कविता और दोहे सुनाये-‘थकी-थकी-सी ज़िंदगी,थके-थके से लोग/थके-थके से चल रहे, है यह कैसा रोग.’
डॉ.प्रसन्नान्शु ने मुख्य-अतिथि सैयद सिब्ते रज़ी और विश्विद्यालय
के कुलपति,रजिस्ट्रार, विद्यार्थियों,’दिल्ली पोयट्री सर्कल’ के
पदाधिकारियों,श्रोताओं तथा कवि -कवयित्रियों का धन्यवाद किया.
Sunday, May 24, 2015
Saturday, May 23, 2015
Monday, May 18, 2015
Sunday, May 17, 2015
Poet Ashok Lav presented his books to Syed Sibte Razi ( Ex-Governor)
हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार अशोक लव ने अपनी पुस्तकें 'लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' और 'खिड़कियों पर टंगे लोग' पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्दे रज़ी को भेंट की. उन्होंने अशोक लव के साहित्यिक योगदान की प्रशंसा की. इस अवसर पर नेशनल ला यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर तथा दिल्ली पोएट्री सर्कल के अध्यक्ष डॉ. प्रसंनान्शु भी उपस्थित थे.
Dr Prasannanshu, Dr Ashok Lav, Syed Sibte Razi, Syed Mohammad Razi are in the pictures.
Dr Prasannanshu, Dr Ashok Lav, Syed Sibte Razi, Syed Mohammad Razi are in the pictures.
Wednesday, May 13, 2015
Saturday, May 9, 2015
Friday, May 8, 2015
"कविता सबको जोड़ती है "--डॉ. प्रसन्नान्शु
‘सुंदर जग इतना बना,अटक-अटक मन
जाए’ कविता के रंग
“दिल्ली पोयट्री
सर्कल” की ओर से 26अप्रेल, को सेक्टर-6, द्वारका, नई दिल्ली में काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया.इसमें दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, जयपुर, झज्झर, सिरसा आदि क्षेत्रों से आए
कवि-कवयित्रियों ने कविता-पाठ किया. यह अखिल भारतीय गोष्ठी चार घंटे तक चली.इसमें 41 से अधिक कवि उपस्थित थे.संस्था के मुख्य संरक्षक और वरिष्ठ साहित्यकार अशोक लव ने काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए
कहा “दिल्ली पोयट्री सर्कल का
गठन सर्वभाषा साहित्य को मंच प्रदान करना है. आज विभिन्न भाषाओँ की कविताओं का पाठ
किया गया है.इससे हम आशान्वित हुए हैं.यह गोष्ठी सर्वभाषा समभाव को प्रकट करती है.”
गोष्ठी के आरम्भ में नेपाल व उत्तरी भारत में आए भूकम्प में जीवन खोने वाले लोगों को श्रद्धांजली अर्पित की गई. प्रोफेसर सुधेश और कमर बदरपुरी सहित अन्य वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में संस्था के पदाधिकारियों अशोक लव, प्रेम बिहारी मिश्र, वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा और ताराचंद शर्मा ‘नादान’ द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात, युवा कवि मनीष ‘मधुकर’ ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की और गोष्ठी का आरम्भ उनकी इस प्रभावशाली ग़ज़ल से हुआ.अन्य कवियों ने एक एक कर के अपनी रचनाओं का पाठ किया और गोष्ठी निरंतर ऊँचाइयों को छूती चली गई| सम्पूर्ण कार्यक्रम में विभिन्न विधाओं की कविताओं का अपना ही रंग था|
वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा की डोगरी कविता की अपनी छटा थी तो टी.एस. माटा की कविता ने पंजाबी रंग में रंग दिया. मनोहर लाल लूथरा ने भूकम्प की विभीषिका और किसानों की दुर्दशा का मार्मिक वर्णन अंग्रेज़ी कविताओं में किया वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि अशोक लव ने गोष्ठी की धारा को अपने दार्शनिक दोहों से नया रंग दे दिया –
और और की चाह में, गठरी भरता जाए,
इतनी गठरी बाँध ली, उठा नहीं अब पाए.
सुन्दर जग इतना बना, अटक अटक मन जाए,
जिसने भेजा था यहाँ, उसे दिया बिसराय.
चन्द्रकान्ता
सिवाल ने भी कुछ ऐसे ही भाव की रचना पढ़ी. कवियत्री नीना ‘सहर’ ने तेज़ी से बदलते समय को इस प्रकार अभिव्यक्त किया –और क्या अब लिखें कहानी भी वक़्त भी जा चुका, जवानी भी. गोष्ठी के आरम्भ में नेपाल व उत्तरी भारत में आए भूकम्प में जीवन खोने वाले लोगों को श्रद्धांजली अर्पित की गई. प्रोफेसर सुधेश और कमर बदरपुरी सहित अन्य वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में संस्था के पदाधिकारियों अशोक लव, प्रेम बिहारी मिश्र, वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा और ताराचंद शर्मा ‘नादान’ द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात, युवा कवि मनीष ‘मधुकर’ ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की और गोष्ठी का आरम्भ उनकी इस प्रभावशाली ग़ज़ल से हुआ.अन्य कवियों ने एक एक कर के अपनी रचनाओं का पाठ किया और गोष्ठी निरंतर ऊँचाइयों को छूती चली गई| सम्पूर्ण कार्यक्रम में विभिन्न विधाओं की कविताओं का अपना ही रंग था|
वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा की डोगरी कविता की अपनी छटा थी तो टी.एस. माटा की कविता ने पंजाबी रंग में रंग दिया. मनोहर लाल लूथरा ने भूकम्प की विभीषिका और किसानों की दुर्दशा का मार्मिक वर्णन अंग्रेज़ी कविताओं में किया वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि अशोक लव ने गोष्ठी की धारा को अपने दार्शनिक दोहों से नया रंग दे दिया –
और और की चाह में, गठरी भरता जाए,
इतनी गठरी बाँध ली, उठा नहीं अब पाए.
सुन्दर जग इतना बना, अटक अटक मन जाए,
जिसने भेजा था यहाँ, उसे दिया बिसराय.
अस्तित्व ‘अंकुर’ की ग़ज़ल,मास्टर महेंद्र की हास्य-कविता,अशोक शर्मा, ध्रुव कुमार गुप्ता, शैफाली सुरभि, पंकज शर्मा, डॉ. सीमा गुप्ता ‘शारदा’, पी.के. शर्मा, सुखवर्ष कँवर ‘तन्हा’ दिनेश चन्द्र नागर, मदन लाल अहूजा, राजेन्द्र महाजन, राजीव ‘रियाज़’ और वरिष्ठ ग़ज़लकारा डॉ. कुमारी नीलम की ग़ज़लों ने
श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
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