Friday, May 8, 2015

"कविता सबको जोड़ती है "--डॉ. प्रसन्नान्शु



                  ‘सुंदर जग इतना बना,अटक-अटक मन जाए’ कविता के रंग  

दिल्ली पोयट्री सर्कलकी ओर से 26अप्रेल, को सेक्टर-6, द्वारका, नई दिल्ली में काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया.इसमें दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, जयपुर, झज्झर, सिरसा आदि क्षेत्रों से आए कवि-कवयित्रियों ने कविता-पाठ किया. यह अखिल भारतीय गोष्ठी  चार घंटे तक चली.इसमें 41 से अधिक कवि उपस्थित थे.संस्था के मुख्य संरक्षक और वरिष्ठ साहित्यकार अशोक लव ने काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा दिल्ली पोयट्री सर्कल का गठन सर्वभाषा साहित्य को मंच प्रदान करना है. आज विभिन्न भाषाओँ की कविताओं का पाठ किया गया है.इससे हम आशान्वित हुए हैं.यह गोष्ठी सर्वभाषा समभाव को प्रकट करती है.
गोष्ठी के आरम्भ में नेपाल व उत्तरी भारत में आए भूकम्प में जीवन खोने वाले लोगों को श्रद्धांजली अर्पित की गई.  प्रोफेसर सुधेश और कमर बदरपुरी सहित अन्य वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में संस्था के पदाधिकारियों अशोक लव, प्रेम बिहारी मिश्र, वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा और ताराचंद शर्मा नादानद्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात, युवा कवि मनीष मधुकरने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की और गोष्ठी का आरम्भ उनकी इस प्रभावशाली ग़ज़ल से हुआ.अन्य कवियों ने एक एक कर के अपनी रचनाओं का पाठ किया और गोष्ठी निरंतर ऊँचाइयों को छूती चली गई| सम्पूर्ण कार्यक्रम में विभिन्न विधाओं की कविताओं का अपना ही रंग था|
वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा की डोगरी कविता की अपनी छटा थी तो टी.एस. माटा की कविता ने पंजाबी रंग में रंग  दिया. मनोहर लाल लूथरा ने भूकम्प की विभीषिका और किसानों की दुर्दशा का मार्मिक वर्णन अंग्रेज़ी कविताओं में किया वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि अशोक लव ने गोष्ठी की धारा को अपने दार्शनिक दोहों से नया रंग दे दिया
और और की चाह में, गठरी भरता जाए,
इतनी गठरी बाँध ली, उठा नहीं अब पाए.
सुन्दर जग इतना बना, अटक अटक मन जाए,
जिसने भेजा था यहाँ, उसे दिया बिसराय.
चन्द्रकान्ता सिवाल ने भी कुछ ऐसे ही भाव की रचना पढ़ी. कवियत्री नीना सहरने तेज़ी से बदलते समय को इस प्रकार अभिव्यक्त किया और क्या अब लिखें कहानी भी वक़्त भी जा चुका, जवानी भी.


 अस्तित्व अंकुरकी ग़ज़ल,मास्टर महेंद्र की हास्य-कविता,अशोक शर्मा, ध्रुव कुमार गुप्ता, शैफाली सुरभि, पंकज शर्मा, डॉ. सीमा गुप्ता शारदा’, पी.के. शर्मा, सुखवर्ष कँवर तन्हादिनेश चन्द्र नागर, मदन लाल अहूजा, राजेन्द्र महाजन, राजीव ‘रियाज़’ और  वरिष्ठ ग़ज़लकारा डॉ. कुमारी नीलम की ग़ज़लों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
दिल्ली पोएट्री सर्कल’ के अध्यक्ष डॉ प्रसन्नान्शु ने अपने संदेश में कहा कि कविता मनुष्य को मनुष्य से जोड़ती है. साहित्य के माध्यम से विभिन्न भाषाओँ के साहित्यकारों को एक-दूसरे के साथ जोडने के लिए इस मंच का गठन किया गया है.श्री राजेन्द्र चुघ की लम्बी कविता ख़यालने श्रोताओं को बाँधे रखा. प्रेम बिहारी मिश्रा,अब्दुल जब्बार खान,सत्य प्रकाश भारद्वाज, संतोष बंसल, शोभना मित्तल, सूक्ष्मलता महाजन, डॉ.भावना शुक्ल, अनिल वर्मा मीतऔर ताराचंद शर्मा की पंक्तियाँ सराही गईं. गोष्ठी का समापन सभा के अध्यक्ष श्री अशोक लव द्वारा विभिन्न रचनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणियों से हुआ. प्रेम बिहारी मिश्र ने कार्यक्रम का कुशल सञ्चालन किया तथा संस्था के अन्य पदाधिकारियों ताराचंद शर्मा, वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा और डॉ. चंद्रमणि ब्रह्मदत्त ने अहम भूमिका निभाई



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